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Showing posts from June, 2018
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Unborn baby meeting her mother दिव्या शिशे के सामने ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी। तभी उसको गुरमीत के साथ गुजारे गए रोमेंटिक पल याद आता है। जिसके बाद वो कुछ सोचकर मुस्कराने लगती है मुस्कराहट के साथ उसकी आंखो में आंसू आ-जाते हैं.. धीरे धीरे मुस्कराहट गायब हो जाती है और दिव्या रोने लगती है। थोड़ी देर बाद वो खुद को संभालती है।  तभी दिव्या को डोर बेल की आवाज आती है। वो अपनी पति गुरमीत से दरवाजा खोलने के लिए कहती है, गुरमीत दरवाज पर जाता है.. दरवाजे के पास तो कोई नहीं होता लेकिन थोड़ी नज़रे घुमाने के बाद गुरमीत देखता है कि एक 7-8 साल का बच्चा अपनी साइकिल की चैन ठीक करने में उलझा हुआ है। बच्चे की क्यूटनेस को देखकर गुरमीत की नज़र हटती ही नहीं है। अचानक बच्चा बोलता है पानी मिलेगा क्या... ? मेरी साइकिल का चैन फंस गई है ..... गुरमित जाता है...... बिना कुछ बोले पानी लेके आता है। तो देखता है कि दरवाजा बंद है.. तो दरवाजा खोलता है तो वहां अकेली साइकिल खड़ा मिलती है। वो इधर-उधर देखता है और आवाज़ लगाने ही वाला होता है तभी उसके घर में कुछ गिरने की आवाज़ आती है। वो आवाज से पीछे मुड़कर द
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                    ईंद की ईदी चारों ओर ईद की तैयारियाँ चल रही थीं। फातिमा एक गरीब महिला थी, जो लोगों के घर काम करके पैसा कमाती थी। उसके साथ उसकी दस साल की बेटी रजिया भी अपनी माँ का काम समेटने में मदद करती थी। फातिमा डॉ. सिंह  के घर काम करती थी। ईद के इस छुट्टी में सिंह साहब अपने परिवार के साथ  हजरत निजामुद्दीन  जाने का कार्यक्रम बना रहे थे। रजिया चुपचाप एक कोने उनकी जाने की तैयारियाँ करते देख रही थी। रात में सोते - सोते अचानक कुछ रजिया के मन में आया और उसने अपनी माँ से पूछा कि साहब  और उनके परिवार वाले कहाँ जा रहे हैं? तब फातिमा ने बताया कि ईद के छुट्टी पर लाखों की संख्या में लोग  हजरत निजामुद्दीन जाते  हैं। ये  दिल्ली में हैं ।  मुस्लिम धर्म को मानने लोग बड़ी आस्था के साथ अपने अल्लाह के दर्शन हेतु वहाँ जाते हैं। और हिन्दू लोग भी जाते हैं जिनको  अल्लाह में यकीन होता हैं। अगली सुबह जब फातिमा काम कर रही थी तो  रजिया ने पूछा क्या हम भी दिल्ली  जा सकते हैं? तब फातिमा ने उसे समझाते हुए कहा, बेटा! वहाँ जाने के लिए बहुत पैसों की ज़रूरत होती है और हम  इतने पैसे कहाँ से लाएँगे?’ तब रजिय
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    दिल की बातें       ऐतराज़ अक्सर खुशियों को होती हैं।            मैंने गमों को नखरे करते नहीं देखा ।।                       ************  मैं कब कहा मुझे गमं या  मूहब्बत से नवाज दो तुम ,      ग़ैर बन  के ही सही एक बार आवाज़ तो दो तुम ।।                       ************       यूं ही थोड़ी वो धूप की वजह से नजरें चुराती थी ,              कल दीदार हुआ था चांदनी रात में    तो देखा मै कैसे वो नजरें चुरा के मुस्करा रहीं थी ।।                       ************   मोहब्बत की  चाहत हो तो चेहरे पर मुस्कान कायम       रखे क्यूकी नकाब और नसीब सरकता जरूर है ।।                       ************ तेरा नज़र मिलाना हुनर था , मेरा नज़र चुराना इश्क़, तेरा शाम हो जाना हुनर था , मेरा रात तक जगाना इश्क।।                       ************ चाहत होनी चाहिए किसी को याद करने की,    लम्हें तो ख़ुद-ब-खुद बन जाते हैं ।                   जो साथ होता है उसे  कौन याद करता है ,                   याद तो उसे करते हैं को साथ छोड़ जाता हैं ।।                      ***********     प्यार चाहे क
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           तेरे जैसा यार कहा  मेरी पहली मोहब्बत कुछ अलग सी थी जिसे आप ये भी कह सकते हैं कि मेरी वाली सबसे अलग हैं  ❗ हम एक दूसरे से अच्छे से बात भी नहीं करते थे लेकिन घंटों एक दूसरे को देखा जरूर करते थे और घंटों देखने के बाद उनकी शरमती हुई स्माइल ऐसे लगता जैसे  सोते टाइम कोई बोले भाई चाय पिएगा ❗ अब हालात कुछ यूं था कि पूरा क्लास उनको भाभी नाम से ही  जानने लगा।    🛑 तो कहानी हैं मेरी पहली मोहब्बत की मै क्लास में 8 था और स्कूल मेरे घर से काफी दूर था तो मुझे बस से जाना पड़ता था जिसकी वजह से स्कूल में  मै लगभग सबसे पहले पहुंच जाता था और उनका घर स्कूल के पास में था फिर भी वो लेट ही आ के मेरे इंतजार बढ़ाया करती थी।   ♋  तो नाम था उसका पूजा , पूजा जायसवाल हाइट 5'4 , आंख    में हल्का सा काजल के साथ बेशुमार खुशी , थोड़ी क्यूट वाली मोटी , और होंठों से कभी ना जाने वाली स्माइल..... मै क्लास के गेट से उनका इंतजार करता रहता था और  लगभग सबसे आख़िरी में वो पिंक साइकिल दिखाई देती थी जिसे देख के मेरे दिल को सुकून आता था उनकी ये आदत थी कि वो  गेट से मुझे देख के शरमाते हुए नजरें चुरा के क्लास
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          " असफलता का कारण " उस दिन हम सब भाई-बहन जाश्न में डूबे हुए थे मौका था. शादी का. सभी रिश्तेदार औप परिवार वाले एक साथ इकट्ठा हुए थे। हम 8-10 भाई बहन बरसों बाद मिले थे तो गांव घूमने निकाल गये। झुनझुन भईया जो उम्र में हमलोगों से काफी बड़े हैं.. उन्होंने अपने एक बचपन के दोस्त के बारे में बताया और हम सब उनके यार से याराना करने पहुंच गए । उनके घर गए तो वो कहीं बाहर गए हुए थे उनकी मां थी.. जिनका काफी उम्र हो गई थी,  वो समझ नहीं पा रही थीं इतने लोगों को देख को वो खुश हो या चिन्तित ....... थोड़ी बात-चीत हुई तभी मेरे करन के अर्जुन मतलब भईया के दोस्त साहब आ गए. और बात-चीत का  सिलसिला शुरू हुआ , हम सबको जो वो देखे नहीं थे अचानक से इतने बड़े देख के बहुत खुश हुए,  सबने अपने बारे में बारी-बारी से बताया. जैसे किसी की शादी होने वाली है , किसी की हो गई, कोई बच्चे वाला है तो कोई जॉब कर रहा है तो कोई अभी 10वीं क्लास में हैं ...... अब सब कुछ अच्छे से चल रहा था कि अचानक से बात किसी और टॉपिक पर पहुंच गई और अब तक जो सब लोग मस्त मिजाज थे उनके चेहरे पे उदासी आ गई  और सब लोग अपनी प
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मोहब्बत का #DASTOOR   अगर पहला मोहब्बत ज़ख्म हैं तो दूसरा मोहब्बत मरहम अगर पहले मोहब्बत ने मुझे सीखाया की हमें प्यार क्यों करना चाहिए तो दूसरे ने सीखाया की मुझे प्यार क्यों करना चाहिए। तो आपने कभी कोल्ड ड्रिंक्स बोतल में पानी डाल के पीया होगा तो ये महसूस किया होगा कि इसमें खुशबू और फ्लेवर तो वहीं हैं बस वो स्वाद नहीं होता। तो पहली मोहब्बत उस बोतल में भरे कोल्ड ड्रिंक्स जैसी है। तो दूसरी मोहब्बत उस में भरे पानी जैसा जिसमें फ्लेवर और ख़ुशबू तो वहीं बस वो स्वाद नहीं है। तो कहानी है मेरे पहले दूसरी मोहब्बत की। पहली मोहब्बत बिखर जाने के बाद सोचा था कि अब किसी को घर छोड़ने के बाद मूड़ के नहीं देखूंगा। अब घड़ी नहीं पहनुंगा क्योंकि अब मेरी घड़ी कि सुई में किसी का दूपट्टा फंसा तो मैं उससे कभी बाहर नहीं निकल सकता। तो सोचा की अब काम पे ध्यान देना है और इंटरव्यूव देने निकाल गया। तो दोपहर का समय था तो खाली मेट्रो मिली, मैं अपना बैग खिड़की के पास रखा और बैठा गया। दो स्टेशन गजर जाने के बाद भी ना कोई चड़ा ना कोई को उतरा, एक दम खामोश जैसे तूफ़ान आने से पहली की शांती हो। फिर एंट्री होती हैं