Unborn baby meeting her mother

दिव्या शिशे के सामने ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी। तभी उसको गुरमीत के साथ गुजारे गए रोमेंटिक पल याद आता है। जिसके बाद वो कुछ सोचकर मुस्कराने लगती है मुस्कराहट के साथ उसकी आंखो में आंसू आ-जाते हैं.. धीरे धीरे मुस्कराहट गायब हो जाती है और दिव्या रोने लगती है। थोड़ी देर बाद वो खुद को संभालती है। 
तभी दिव्या को डोर बेल की आवाज आती है। वो अपनी पति गुरमीत से दरवाजा खोलने के लिए कहती है, गुरमीत दरवाज पर जाता है.. दरवाजे के पास तो कोई नहीं होता लेकिन थोड़ी नज़रे घुमाने के बाद गुरमीत देखता है कि एक 7-8 साल का बच्चा अपनी साइकिल की चैन ठीक करने में उलझा हुआ है। बच्चे की क्यूटनेस को देखकर गुरमीत की नज़र हटती ही नहीं है। अचानक बच्चा बोलता है पानी मिलेगा क्या... ?
मेरी साइकिल का चैन फंस गई है .....

गुरमित जाता है...... बिना कुछ बोले पानी लेके आता है। तो देखता है कि दरवाजा बंद है.. तो दरवाजा खोलता है तो वहां अकेली साइकिल खड़ा मिलती है। वो इधर-उधर देखता है और आवाज़ लगाने ही वाला होता है तभी उसके घर में कुछ गिरने की आवाज़ आती है। वो आवाज से पीछे मुड़कर देखता है। तो छोटे-छोटे मिट्टी से सने पैरों के निशान फर्स पर दिखाई देते हैं। गुरमीत देखता है कि बच्चा गंदे कपड़े हाथों में कालिख जूतों में कीचड़ लगे सोफे पर चढ़ के कुछ ढूंढ रहा होता है.. जिसे देखकर गुरमीत चिल्लाता है। और बच्चा डर के नीचे गिर जाता है जिसकी आवाज से दिव्या बाहर आ जाती है। दिव्या ये सब देख के गुरमीत पर चिल्लाने लगती है.. गुरमीत सब कुछ बताता है।  फिर  दिव्या उसे प्यार से अपने पास बुलाने की कोशिश करती है लोकिन वो नहीं सुनता।

 फिर दिव्या जैसे जैसे उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़ती है बच्चा वैसे-वैसे उसे दूर भाग जाता है। बच्चा जहां जहां जाता उसके पैरों के निशान वहां वहां पड़ जाते हैं। जिसे देखके दिव्या का गुस्सा बढ़ जाता है इस भागा दौड़ी के बाद बच्चा थक जाता है। और अचानक से आ के दिव्या की गोद में बैठ जाता है। उसके गोद में बेठते ही दिव्या खामोश हो जाती है। और गहरी सोच में चली जाती है। उसको ऐसा लगता है कि अगर उसका कोई बच्चा होता तो वो भी ऐसे ही उसे परेशान करता और थककर आके मेरी गोद में बैठ जाता है। 
गुरमीत की हसीं से वो गहरी सोच से बाहर आती है। गुरमीत तेज तेज से हस रहा है ये देख कर की दिव्या के पूरे कपडों में मिट्टी और कालिख लग गई है। गरमीत दोनों को उठाता है बच्चा सोपे पर बैठ जाता है.. दिव्या और गुरमीत लाचार होकर नीचे बैठ जाते है और उस बच्चे को गौर से देखने लगते हैं।

 दिव्या बहुत प्यार से बच्चे से बात करती हैं .... 
बेटा तुम्हारी मम्मी तुमको ढुंढ री होगी ना,तुम्हारे घर वाले इंतजार कर रहे होंगे।
 लड़का बोलता हैं मै केसे जा सकता मेरी साइकिल  चैन.....
दिव्या बोलती हैं भैया बना देंगे आपकी साईकिल आप आराम करो ,
गुरु  बोलता  कि मै चैन बना देता  हूं तुम यहीं बैठो। 
 दिव्या अपने कमरे में चली जाती हैं और गुरु साइकिल बनाने चला जाता है । 
और जब गुरु साइकिल बना  के आता हैं तो कुछ ऐसा देखता हैं जिसे देख के वो पिघल जाता है वो देखता है कि बच्चा नींद में सो  रहा है इतना मासूम चेहरा देख के गुरु को उसपर प्यार आ जाता है और वो दिव्या से बोलता है कि  अभी जगाना नहीं इसे और जब ये जग जाए तो तुम इसे छोड़ देना मै ऑफिस निकाल रहा हूं।

दिव्या कपड़े बदलने वॉशरूम जाती हैं और जब वो आती हैं तो लडके को देख के गुस्से से चिल्लाती हैं। वो देखता हैं कि लड़का उसकी फोन डायरी में कुछ कर रहा होता है दिव्या डायरी छीन के रखती और जैसे पीछे मुड़ती है उसके गुस्सा और बड़ जाता है  देखती हैं कि अब वो उसका सिगरेट तोड़ रहा होता है । दिव्या बच्चे को घसीटते हुए अपने घर से बाहर का रही होती है तभी अचानक से बोलता है  जन्नत की मम्मी जी मै कहीं नहीं जाने वाला  (तभी दिव्या को गुरुमीत की बात याद आती हैं जब वो दिव्या  पेट पर हाथ रख के  बोलता  है कि अपनी बच्ची का नाम जन्नत रखेंगे)
अब दिव्या घबरा जाती हैं और उसपर चिल्लाने लगती हैं तो लड़का बोलता हैं मुझे आपके बारे में सब कुछ पता हैं दिव्या सिन्हा जी.....

मेरा नाम कैसे पता तुमको लड़का का जवाब सुन के दिव्या की आंखे चौड़ी की चौड़ी रह जाती हैं वो बोलता हैं मुझे तोे ये भी पता है की आप प्रेग्नेंट हो और वो आपके बॉस Mr. Singh दिव्या उसकी बात काटते हुए उसे घर से बाहर कर के दरवाज़ा बंद  देती हैं दरवाज़े के पास बैठ कर रोने लगती हैं 
 दरवाजे के दूसरी तरफ से सिसकते हुए आवाज में लड़का बोलता हैं मां आप कितनी बार मुझे खुद से दूर करोगी.....
मां  सुन के दिव्या सास्ननन हो जाती हैं ऐसे जैसे साप सुघ गया ... खुद को संभालती हैं और दरवाजा खोलती हैं।
 दिव्या के आंखो से आशु निकाल रहे हैं। वो समझ नही पा रही हैं कि ये सब क्या हो रहा है दरवाजा खोल के खड़ी कि खड़ी रह जाती हैं ।

लड़का अंदर  सीढ़ी पे बैठ के जुते निकालने लगता हैं । 
दिव्या उसके पास आती हैं अाखो में आशु के साथ टूटे-फूटे शब्दों  में पूछती हैं मां किसी बोले..... कौन हैं आपकी मां, 
 तो लड़का बोलता हैं मेरी मां दुनिया की सबसे खूबसूरत मां जिनका बाहर बहुत इज्जत हैं , उनको सब लोग बहुत पसंद करते हैं और वो भी सबको बहुत पसंद करती हैं बस वो मुझे पसंद नहीं करती इस लिए मुझे अपनी इस जिंदगी का हिस्सा नहीं बनने दिया ।

क्या बोल रहे हो किसकी बात कर रहे हो,  तो लडके का जबाव दिव्या के सांसें रोकने  के लिए  काफी था  ,उसने बोला  आपकी बात कर रहा हूं मां मै आपका ही  unborn child . 
दिव्या को कुछ समझ नहीं आता वो चिल्लाती है उसपर  ड्रामा बंद करो अपना और गुरु को फोन करने के लिए मोबाइल लेने जाती हैं तभी लड़का बोलता हैं यहां हैं आपका मोबाइल  इसके हाथ से मोबाइल छिनती हैं गुरु का फोन नहीं लगता है। दिव्या सदमें में लड़का  के पास बैठती हैं तभी लड़का उस सब कुछ समझता हैं.....


दिव्या रोने लगती हैं और बोलती हैं तुमको  सब इतना आसान लग रहा है क्या बच्चे जीते नहीं है उनको जीलाना पड़ता है मै अपनी और अपने बच्चे की लाइफ खराब नहीं कर सकती हूं मेरा लाइफ खराब हो जाती दिव्या रोते हुए उसे हग करती हैं और फिर उसे अपने रूम में ले जाती हैं और अपने कबाड़ से एक ड्रेस निकलती हो जो बिल्कुल लडके  साइज़ का  होता है उसे पहना रही होती है तभी वो थॉट्स में जाती हैं (  जहां वो कभी आपने कब्बड़ में कुछ कर रही होती हैं तो गुरु इस कपड़े को  हाथ में लें कर बोलता है कि बचपन में ये मेरा फेवरेट ड्रेस था और इसे हम अपने बच्चे को पहनाएंगे ) .....

जब दिव्या लडके को कपड़े पहना रही होती है तो वो बोलता हैं  मुझे आपसे कुछ चाहिए दिव्या मुस्कराते हैं तो लड़का खुद ही जाता हैं और वो फोन डायरी लता हैं दिव्या के सामने रखता है और डॉक्टर नंबर जो पहले ही थोड़ा काट चुका होता है अभी पैन से काटता हुए दिव्या से बहुत प्यार से बोलता हैं ये ने नहीं होता तो आज मैं आपके साथ होता ना ?,   दिव्या स्माइल के साथ अपने मोबाइल से भी डॉक्टर का नंबर डिलीट करती हैं , लड़का ख़ुश हो के फिर भागता है और उसकी सिगरेट फेक देता है और दिव्या के पास आ कर बोलता मां जब मैं आपके साथ था तो इसने मुझे बहुत तकलीफ़ दी थी इसलिए फेक दिया नहीं तो जन्नत भी आपसे सिकायत करेगी।

दिव्या हस्ते हुए उसे किस करने जाती तभी उसकी नीद टूटती हैं और उसे समझ आता है....... ये उसका एक सच्चा सपना था।
          
                       मां बच्चो की जान होती हैं ।
                वो होते हैं किस्मत वाले जिनकी मा होती है ।।

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