वो अक्सर कहा करती हैं कि मत पिया करो , अब उनको कोन समझाए ये जो हम पीते हैं खाते है सब लिखा तो महादेव ने हैं , अब मैं महाकाल को गलत साबित करने की खता भी कैसे करू.... पॉइंट पर आते हैं ... यार प्यार तो सबको होता है और बहुत बार होता है लेकिन वो जो पहली दफा वाला प्यार होता ना उसकी feeling कुछ और ही होती है मानो चांद , तारें सब उनको उनमें ही बस गए हैं ।। तो जिदंगी चल ही रही थी , सब ठीक ही था कुछ बिखरा ख्वाब जैसा था फिर भी सब ठीक ही था ।। तो पहली बार मेरे पास mobile आया था और न्यू Facebook अकाउंट , कुछ दोस्त बने थे , लेकिन उन दोस्तो में एक खास नाम भी था , जो मेरी यादों के ideot box में lock हो गया है तो नाम था उनका आरजू , दोस्तों में एक दोस्त वो भी थी लेकिन देखते देखते दोस्त से ज्यादा वाला दोस्त बन गई मेरी धड़कनें उनके ईसारे पर धड़कने लगी ..... Ohhhhh काश उस वक्त मैं उनसे पूछ पता क्या यही है इश्क़ वाला लव.... बताओ ना ।। जब मैं Facebook ऑन करता मेरी DP पर उनकी लाइक देख दिल जोर से धड़कने लगता और चेहरे पर एक FRIKI SMILE आ जाती , उनसे बाते करते करते सुबह से कब शाम हो जात
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Showing posts from August, 2018
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अलविदा अदिति : कैसा था चाहत का परिणाम अदिति ने अपनी जिंदगी के रंगीन ख्वाब देखे तो किसी और के साथ थे पर अमन को देख कर वह प्यार की डगर से हट कर आसान मंजिल की तरफ बढ़ गई. उस की इस चाहत का परिणाम आखिर क्या निकला? दिल्ली की चौड़ी सड़कें , चारों तरफ चहलपहल, शोरशराबा, विभिन्न परिधानों में चमकती पंजाब , बंगाल और पहाड़ी लड़कियां तरह तरह के इत्रों से महकता वातावरण… वो दिल्ली छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए अपने शहर इलाहबाद वापस जा रही थी. लेकिन अपने वतन, अपने शहर, अपने घर जाने की कोई खुशी उस के चेहरे पर नहीं थी. चुपचाप, गुमसुम, अपने में सिमटी, मेरे किसी सवाल से बचती हुई सी. पर मैं तो कुछ पूछना ही नहीं चाहता था, शायद माहौल ही इस की इजाजत नहीं दे रहा था. हां, ऐसा लगा कि दोनों तरफ भावनाओं का गंगा अपने उफान पर है. हम दोनों ही कमजोर बांधों से उसे रोकने की कोशिश कर रहे थे. तभी अदिति की ट्रेन की घोषणा हुई. वह डबडबाई आंखों से धीरे से हाथ दबा कर चली गई । 3 वर्षों पहले हुई जानपहचान की ऐसी परिणति दोनों को ही स्वीकार नहीं थी , कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जैसे बरसात के दिनों में रुके हुए पानी में
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*फिर भी ना जाने क्यों* .... वो बोली कि तुम वहा जा कर बदल गए हो ना जाने किस किस को दिल दे दिए हो, बस इसी लिए मुझे अब तुमसे बात नहीं करनी । हा मैं बदल गया हूं ना जाने किस-किस को दिल दे दिया हू , *" फिर भी ना जाने क्यों "* तुम्हारा back massage read करते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं । तुम्हारा ये भी कहना भी वालिद है कि में तुमको अब याद नहीं करता , *" फिर भी ना जाने क्यों "* मैं खुदा से यही पूछता हूं कि उनको कैसे याद करूं जिनसे खुद मेरी यादें है। वो कहती हैं कि तुमको कुछ फर्क नहीं पड़ता , *" फिर भी ना जाने क्यों "* अब वो किसी और के गले लग कर रोती हैं और कॉलर मेरी भीग जाती हैं । वो ईस्तफाकन ही massage का जवाब देती हैं , *" फिर भी ना जाने क्यों "* उसका डीपी और लस्ट्सीन देखते ही मेरा दिल मुझे गुदगुदाने लगता हैं । मुझे यकीन हैं की उसका प्यार मुझे वापस कभी नहीं मिलेगा , *" फिर भी ना जाने क्यों "* मेरी दूआओ का सिलसिला उनसे ही शुरू होता है। उनका ये कहना भी जायज है कि उनके दिल में मेरी अब को जगह नहीं है
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ऐतराज़ अक्सर खुशियों को होती हैं। मैंने गमों को नखरे करते नहीं देखा ।। मैं कब कहा मुझे गमं या मूहब्बत से नवाज दो तुम , ग़ैर बन के ही सही एक बार आवाज़ तो दो तुम ।। यूं ही थोड़ी वो धूप की वजह से नजरें चुराती थी , कल दीदार हुआ था चांदनी रात में तो देखा मै कैसे वो नजरें चुरा के मुस्करा रहीं थी ।। मोहब्बत की चाहत हो तो चेहरे पर मुस्कान कायम रखे क्यूकी नकाब और नसीब सरकता जरूर है ।। तेरा नज़र मिलाना हुनर था , मेरा नज़र चुराना इश्क़, तेरा शाम हो जाना हुनर था , मेरा रात तक जगाना इश्क।। चाहत होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो ख़ुद-ब-खुद बन जाते हैं । जो साथ होता है उसे कौन याद करता है , याद तो उसे करते हैं को साथ छोड़ जाता हैं ।। प्यार चाहे कितनी भी सच्चा क्यों ना हो अगर उसे जताने का तरीका ना हो तो , खुदा भी अजान को आदत समझ लेता है