*फिर भी ना जाने क्यों* ....

वो बोली कि तुम वहा जा कर बदल गए हो ना जाने किस किस को दिल दे दिए हो, बस इसी लिए मुझे अब तुमसे बात नहीं करनी ।


हा मैं बदल गया हूं ना जाने किस-किस को दिल दे दिया हू ,  *" फिर भी ना जाने क्यों "* तुम्हारा back massage read करते ही  मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं  ।


तुम्हारा ये भी कहना भी वालिद है कि में तुमको अब याद नहीं करता , *" फिर भी ना जाने क्यों "* मैं खुदा से यही पूछता हूं कि उनको कैसे याद करूं जिनसे खुद मेरी यादें है।


वो कहती हैं कि तुमको कुछ फर्क नहीं पड़ता  , *" फिर भी ना जाने क्यों "*  अब वो किसी और के गले लग कर रोती हैं और   कॉलर मेरी भीग जाती हैं ।


 वो  ईस्तफाकन ही massage का  जवाब देती हैं ,
 *" फिर भी ना जाने क्यों "*  उसका डीपी और लस्ट्सीन देखते ही मेरा दिल मुझे गुदगुदाने लगता हैं ।


मुझे यकीन हैं की उसका प्यार मुझे वापस कभी नहीं मिलेगा ,  *" फिर भी ना जाने क्यों  "*  मेरी दूआओ‍ का सिलसिला उनसे ही शुरू होता है।


उनका ये कहना भी जायज है कि उनके दिल में मेरी अब को जगह नहीं है , *" फिर भी ना जाने क्यों "* वो ये बात मेरे सामने बोलने से घबराती हैं।


  आज उनके दिलों पर प्यार की बरसात हो रही है अब उनकी खुशियों का वजह अब कोई और हैैं , *" फिर भी ना जाने क्यों "* मेरी  मोहब्बत की चिता जल रही हैं ।


 पहले मैं उनसे बेपनाह मोहब्बत  की उम्मीद में रहता था ,
 *" फिर ना जाने किसे "*  मेरे दिल में  ख्याल आया कि खुदा  इतना बेला होगा क्या जो मुझ जैसा  दुबारा‌ बनाएं ।


पहले मैं उनसे लड़ कर  ,झगड़ कर , रो कर  गा कर अपनी बाते समझता था, *"  फिर ना जाने क्यों "* अब हार मान कर उनकी बाते समझने की कोशिश करता हूं।


बिना किसी डॉक्टर ज्योतिषी से सलाह लिए मुझे सायको मान लिया, *"  फिर भी ना जाने क्यों "* ये सायको उनके लिए ख्वाब बुनता रहा । 



उनके आख़िर नज़र में अजीब दर्द था जाने का उसका अंदाज़  मुझे उम्र भर मुझे सताएगा , *" फिर भी ना जाने क्यों "* मैं उस लम्हे में ही जीना चाहता हूं।


 *ये कुछ बेवजह सी बाते हैं जो तुमको बताना जरूरी था ।*


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