अलविदा अदिति : कैसा था चाहत का परिणाम अदिति ने अपनी जिंदगी के रंगीन ख्वाब देखे तो किसी और के साथ थे पर अमन को देख कर वह प्यार की डगर से हट कर आसान मंजिल की तरफ बढ़ गई. उस की इस चाहत का परिणाम आखिर क्या निकला? दिल्ली की चौड़ी सड़कें , चारों तरफ चहलपहल, शोरशराबा, विभिन्न परिधानों में चमकती पंजाब , बंगाल और पहाड़ी लड़कियां तरह तरह के इत्रों से महकता वातावरण… वो दिल्ली छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए अपने शहर इलाहबाद वापस जा रही थी. लेकिन अपने वतन, अपने शहर, अपने घर जाने की कोई खुशी उस के चेहरे पर नहीं थी. चुपचाप, गुमसुम, अपने में सिमटी, मेरे किसी सवाल से बचती हुई सी. पर मैं तो कुछ पूछना ही नहीं चाहता था, शायद माहौल ही इस की इजाजत नहीं दे रहा था. हां, ऐसा लगा कि दोनों तरफ भावनाओं का गंगा अपने उफान पर है. हम दोनों ही कमजोर बांधों से उसे रोकने की कोशिश कर रहे थे. तभी अदिति की ट्रेन की घोषणा हुई. वह डबडबाई आंखों से धीरे से हाथ दबा कर चली गई । 3 वर्षों पहले हुई जानपहचान की ऐसी परिणति दोनों को ही स्वीकार नहीं थी , कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जैसे बरसात के दिनों में रुके हुए पानी में
दिल की बातें ऐतराज़ अक्सर खुशियों को होती हैं। मैंने गमों को नखरे करते नहीं देखा ।। ************ मैं कब कहा मुझे गमं या मूहब्बत से नवाज दो तुम , ग़ैर बन के ही सही एक बार आवाज़ तो दो तुम ।। ************ यूं ही थोड़ी वो धूप की वजह से नजरें चुराती थी , कल दीदार हुआ था चांदनी रात में तो देखा मै कैसे वो नजरें चुरा के मुस्करा रहीं थी ।। ************ मोहब्बत की चाहत हो तो चेहरे पर मुस्कान कायम रखे क्यूकी नकाब और नसीब सरकता जरूर है ।। ************ तेरा नज़र मिलाना हुनर था , मेरा नज़र चुराना इश्क़, तेरा शाम हो जाना हुनर था , मेरा रात तक जगाना इश्क।। ************ चाहत होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो ख़ुद-ब-खुद बन जाते हैं । जो साथ होता है उसे कौन याद करता है , याद तो उसे करते हैं को साथ छोड़ जाता हैं ।। *********** प्यार चाहे क
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